Method of Live in relationship

लिव इन रिलेशनशिप क्या होता है ?

जानिए सामाजिक एवं कानूनी पहलू -

इस रिश्ते को लंबे समय तक कैसे रखें कायम:-

                           Live in relationship के नियम क्या हैं? मध्यम वर्गीय,उच्च मध्यम वर्गीय एवं उच्च वर्गीय श्रेणी के समाज में आजकल लोगों के बीच लिव इन रिलेशनशिप का चलन एक फैशन सा हो चुका है अर्थात जब दो बालिग व्यक्ति लंबे समय तक बगैर शादी के बंधन में बंधे एक साथ एक छत के नीचे रहना शुरू कर देते हैं और उनके बीच सामान्य स्वस्थ यौन संबंध भी स्थापित होते हैं तो कहा जाता है कि अमुक अमुक व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। किसी की नजर में यह निजी जिंदगी एवं मूलभूत अधिकारों का मामला है,तो कुछ लोग इसे सामाजिक और नैतिक मूल्यों की कसौटी पर आकलन करते हैं। अपने साथी के साथ लंबे समय तक ज्यादा से ज्यादा सांवेगिक एवं यौन संबंध स्थापित करते हुए अपना समय व्यतीत करने के लिए कई जोड़े लिव इन रिलेशनशिप में रहना पसंद करते हैं। हालांकि इसका प्रचलन बड़े बड़े शहरों में विगत कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है,परंतु यहां एक बड़ा एवं लाजमी प्रश्न यह उठता है कि जब सामाजिक, धार्मिक एवं नैतिक सिद्धांतों के आधार पर स्थापित वैवाहिक संबंधों में आज के परिवेश में कटुता आ जा रही है तो लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोग जिनका सामाजिक धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों से कोई ताल्लुक नहीं होता है बल्कि केवल आपस के संवेगिक, यौन इच्छा की पूर्ति हेतु संबंध निर्मित होते हैं, तो यह संबंध कितने समय तक जीवंत रहेंगे यह एक विचारणीय प्रश्न हो जाता है। कभी कभी छोटी छोटी गलतियों एवं नासमझी की वजह से ये रिश्ते टूट जाते हैं, बल्कि यूं कहें तो ये संबंध रेत के टीले की भांति होते हैं जो कभी भी हवा के थोड़े से झोंके से बिखर जाते हैं।

कानूनी पहलू :-  

                    हमारे भारत जैसे धार्मिक एवं आदर्शवादी दृष्टिकोण वाले देश में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के प्रति हमारा भारतीय कानून क्या कहता है, इसे हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
                     शादी शुदा व्यक्ति यदि लिव इन रिलेशनशिप में रहता है तो उसे bigamy कहा जाता है और वह भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 494 के तहत अपराधिक कृत्य कारित करता है जिसमे सात साल की सजा का उपबंध है।
                       अगर दोनों विवाहित हैं परंतु तलाकशुदा हैं तो वे लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं, अगर दोनों कुंवारे हैं तो भी रह सकते हैं परंतु शर्त यह है कि वे दोनों व्यस्क होने चाहिए।
                        भारतीय कानून में कहीं भी लिव इन रिलेशनशिप को परिभाषित नहीं किया गया है, बल्कि सरल शब्दों में, दो बालिग अपनी मर्जी से यौन संबंध स्थापित करते हुए एक ही छत के नीचे रहते हैं, इसे लिव इन रिलेशनशिप की संज्ञा दी गई है।
                            लिव इन रिलेशनशिप में रहने के कई कारक हैं लेकिन उनमें से प्रमुख रूप से, प्रथमतः कुछ जोड़े इस लिए लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं ताकि वे तय कर सकें कि क्या वे शादी योग्य हैं या नहीं, कुछ जोड़े आधुनिकता एवं ग्लैमर से इतने प्रभावित होते हैं कि उन्हें पारंपरिक वैवाहिक व्यवस्था में विश्वास नहीं होता है हालांकि ऐसी सोच वाले जोड़े की लिव इन रिलेशनशिप की लाइफ बहुत टिकाऊ नहीं होती।
                              लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार 1978 में हमारे देश की शीर्ष अदालत ने पहली बार लिव इन रिलेशनशिप के रिश्ते को मान्यता दिया था। उसी समय यह स्वीकार किया गया था कि वयस्क उम्र वाले लोगों के बीच लिव इन रिलेशनशिप भारतीय कानून का उलंघन नहीं करता। न्यायालय ने यह कहा था कि अगर कोई कपल लंबे समय से साथ रह रहे हैं तो उस रिश्ते को शादी जैसा ही माना जायेगा,इस प्रकार 50 वर्षीय पुराने रिश्ते को विधिक मान्यता दिया।

 लिव इन रिलेशनशिप से जन्मी संतान का कानूनी अधिकार:-

                      हमारे देश की शीर्ष अदालत ने इस तरह के संबंधों से पैदा हुए बच्चों संपत्ति से संबंधित पूरे अधिकार प्रदान किए हैं। इस तरह के संबंधों में न्यायालय ने अपने न्यायिक निर्णयों के द्वारा महिलाओं को वे सभी कानूनी अधिकार प्रदान किए हैं जो विवाहित महिला को प्राप्त हैं। हालांकि आज भी भारतीय सामाजिक नजरिया लिव इन रिलेशनशिप के प्रति सकारात्मक नहीं है।

सावधानी हटी दुर्घटना घटी

                                  इस तरह की परिस्थिति में आपसी समझदारी काफी मजबूत होनी चाहिए, एक दूसरे की भावनाओं की कद्र होनी चाहिए और रिश्ते में एक दूसरे के प्रति समर्पण एवं त्याग होनी चाहिए।अगर इसमें कोई कमी आती है तो इस रिश्ते को बिखरने में बिल्कुल वक्त नहीं लगताहै।

             

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